गुरुवार, 24 मई 2018

रामचरितमानस कथा विराम

१  कथा विसर्जन होत है, सुनहु वीर हनुमान।
   रामलखन सिया जानकी सदा करहू कल्याण॥
२  जय जय सीताराम के, जय लक्ष्मण बलवान।
   जय हो कपीस सुग्रीव के, कहत चले हनुमान॥
३  एक घड़ी आधो घड़ी, पुनि आधो के आध।
    तुलसी चर्चा राम के, कटै कोटि अपराध॥
४  राम नाम की लेत ही , सकल पाप मिट जाय।
   जैसे रवि के उदय से, अंधकार मिट जाय॥
५  राम नाम जपते रहो, मन में राखो धीर।
   कारज वही सुधारिहै ,कृपासिंधु रधुवीर॥
६  सब धनवान गरीब है, बहुत मौत के पास।
    वह नर ही धनवान है, जो है हरि के पास॥
७  धन्य धन्य वह देश को, धन्य धन्य वह ग्राम।
    धन्य धन्य वह जीव को, लेत राम के नाम॥
८  बाजा बाजे गहगहे, भारद्वाज मुनिराज।
   देवता सब आश्रम गये, शंभू गये कैलाश॥
९  रामायण विराम सुनि के, आयहु चतुर सुजान।
   जो जन जहां से आयहु, जहं तहं करहु प्रयान॥
१० तीरथ पावन सकल मिले , हरहु मोर अज्ञान।
       रामायण बैकुंठ गये, बिदा होत हनुमान॥
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जय श्री राम।
संकलन/ क्रम निर्धारण : विरेन्द्र कुमार साहू।