गुरुवार, 27 जून 2019

कवि सम्मेलन में मेरी प्रस्तुति

उल्लाला छंद

उल्लाला
हँस बतिया सबसन वीर तैं,झन रख रफटफ टोन जी।
गउ कोन जनी कब आ जही,यमराजा के फोन जी।।

मीठा बानी ला समझ ,सबले  बढ़िया मंत्र जी।
बैरी  ला  हितवा  करे , अइसन  हे ये यंत्र जी।।

सुखी ददा दाई रखय , जब बेटा निज पास जी।
देवय तभ्भे  देवता , धन  वैभव  पद खास जी॥

दाई  ददा  ल मानबो  ,  जब देवी भगवान जी।
तभ्भे खच्चित बन जही , हर घर सरग समान॥

दुनिया  मा अनमोल जी , हे  महतारी  के मया।
अपन खुशी ला पाट के , देथे सुत सुख के पया।

राखे नौ दस माह ले , सहिके जोखिम लाख जी।
पाथे   महतारी  तभे , सुख  के  सुग्घर पाख जी।।

माता के करनी घलो , दीपक ज्योति समान हे।
रौशन  कर  संतान ला , करथे काज  महान हे।।

मुरहा  ला   दे   जिंदगी , करथे   माँ  उद्धार  हे।
जेकर  छाती  ले   बहे , पावन  अमरित धार हे।।

सच्चा जीवन दायिनी , माँ अमरित के खान हे।
कल्पवृक्ष के तुल्य अउ , कामद गाय समान हे।।

ममता  करुणा अउ कहाँ , पाबे  तैं   इंसान रे।
जूझ काल  के गाल माँ , तोर  बचाथे  जान रे।।

सदा  झुकावौ  शीश ला , महतारी  के मान मा।
जग जननी माँ ले बड़े , भगवन नहीं जहान मा।।

छप्पय छंद
सौंहत  के  भगवान , ददा   दाई   ला  जानौ।
सेवौ  साँझ  बिहान , बात अउ उनखर मानौ।
देथे  जीवन   दान , पियाके    दूध  ल    दाई।
पालन  करके   बाप , हरे    जम्मों   करलाई।
मिलथे मनवा मान ले , सेवा के  परिणाम हा।
मातु पिता आशीष ले , बनथे बिगड़े काम हा।।

कुण्डलिया
हँसना जिनगी मा सदा , झन रहि कभू उदास।
हाँसत-हाँसत  जे  जिये , पाये  धन-पद खास।
पाये  धन  पद  खास , होय जग  मान  बड़ाई।
फल  आशा  ला त्याग , लगन से करौ कमाई।
मान वीर के  बात , लोभ  मा झन तो फँसना।
गाँठ बाँध ले  गोठ , हमेशा   मुचमुच   हँसना।।

कुण्डलिया छंद :-
बेटी  पहुना  बन  जथे , जब बिहाव हा होय।
मन मा नोनी सोच के , कलप कलप के रोय।
कलप कलप के रोय , दुःख के  आँसू  भारी।
कहे  जनम  का देय , विधाता  अबला  नारी।
सुख  के   दे  भंडार , भरौ   खुशियाँ ले पेटी।
करौ  मान  सम्मान , होय  जब  पहुना  बेटी।।

दोहा
बेटी   बहिनी   जेन दिन , पाही   सच्चा  मान।
उही  समे   ले  देस  हा , बनही   गजब महान॥

छप्पय छंद
चलो   लगाबो   पेड़ , राज  ला  हरियर  करबो।
सुग्घर  सुखद भविष्य , चमाचम उज्जर करबो।
खेत  खार   के  मेड़ , बाँध  अउ   ताल  तलैया।
औषधि  अउ  फलदार , लगाबो  पेड़  ल  भैया।
बन जाही जब रूख तब,देही फल अउ छाँव गा।
रही राज खुशहाल अउ,हरियर दिखही गाँव गा।।

छप्पय छंद
पर्यावरण    बँचाव , पेड़    पौधा    ला    रोपौ।
हरियर  कलगी  खास , धरा  के  मूड़ म  खोपौ।
दुनिया के  सब जीव , रहय जी  सुख से घर मा।
छूटे  झन   आवास , बिनाशी   ठौर    शहर  मा।
धरती  के  सिंगार अउ , करौ जीव  उपकार जी।
सुख खातिर सब जीव के,हरियर रख संसार जी।।

कुण्डलिया
आज  नँदागे  गाँव मा , खेल  पताड़ी मार।
भँवरा बाँटी के घलो , कोन्हों नहीं  चिन्हार।
कोन्हों नहीं चिन्हार , भुलागे आज जमाना।
आघू होही काय , नहीं अब हवय ठिकाना।
कहे वीर कविराय , लोग सब गजब छँदागे।
हमर  राज के खेल , सबे हर  आज  नँदागे।।

कुण्डलिया
छत मा  पानी  राख दे , आथे  चिरई  चींव।
देही वो आशीष  ला , अपन जुड़ाके  जीव।
अपन जुड़ाके जीव , गीत ला बढ़िया गाही।
नरियाके घर  द्वार , बालमन  ला  बहलाही।
कर सेवा उपकार , कमाके पुण्य जगत मा।
चिरई मन बर वीर , राख  दे  पानी छत मा।।

उल्लाला
हँस बतिया सबसन वीर तैं,झन रख रफटफ टोन जी।
गउ कोन जनी कब आ जही , यमराजा के फोन जी।।

दोहा

दाई  ददा   ल  मानबो  ,  जब   देवी भगवान।2
तभ्भे गौकी   बन जही , हर घर  सरग समान॥

सुखी  ददा दाई रखय , जब  बेटा  निज पास।2
देवै   तभ्भे     देवता , धन   वैभव  पद खास॥

छप्पय छंद
सौंहत   के   भगवान , ददा   दाई   ला  जानौ।2
सेवौ  साँझ  बिहान , बात  अउ  उनखर मानौ।
देथे   जीवन   दान , पियाके   दूध   ल    दाई।2
पाल-पोष  के    बाप , हरे    जम्मों   करलाई।
मिलथे मनवा  मान ले , सेवा  के  परिणाम हा।2
मातु पिता आशीष ले , बनथे  बिगड़े काम हा।।

छंद : उल्लाला
दुनिया  मा अनमोल जी , हे महतारी  के मया।2
अपन खुशी ला पाट के,देथे सुत सुख के पया।।

राखे नौ दस माह ले,सहिके जोखिम लाख जी।2
पाथे  महतारी  तभे , सुख  के सुग्घर पाख जी।।

माता के करनी घलो , दीपक ज्योति  समान हे।2
रौशन कर  संतान ला , करथे  काज  महान हे।।

लइका  ला   दे  जिंदगी , करथे मां  उद्धार जी।2
उनखर छाती मा बहे , पावन अमरित धार जी।।

सचमुच जीवन दायिनी,माँ अमरित के खान हे।2
कल्पवृक्ष के तुल्य अउ ,कामद गाय समान हे।।

ममता   करुणा अउ कहाँ , पाबे  तैं  इंसान रे।2
जूझ काल  के गाल माँ , तोर  बचाथे  जान रे।।

सदा  झुकावौ  शीश ला , महतारी के मान मा।2
जग जननी माँ ले बड़े ,भगवन नहीं जहान मा।।

दोहा
मीठा   बानी  ला समझ , सबले  बढ़िया  मंत्र।
बैरी    ला  हितवा  करे , अइसन   हे  ये  यंत्र।।

आरती मा पूजा थाली के। सिंगार मा रंग लाली के।
सीमा में रखवाली के। माता मा वीणा वाली के।

ब्रह्माण्ड मा रवि के। नेता मन के सुंदर छवि के।
बंबई मा अंधेरी  नवी के। दुनिया  मा  कवि के॥

बाग बगीचा मा माली के।प्यार मा जनाबे आली के।
नगर  निगम मा नाली के। पेड़  पौधा  मा डाली के।

बिहना चाय पियाली के। ससुराल मा साली के।
कुरता  मा बंगाली के।। कवि सम्मेलन मा ताली....

१गाँव के बड़ा महत्व हे।
२प्रसिद्ध कवि ...

जब देखा उन्होंने तिरछी नज़र से हम मदहोश हो गए
जब पताचला कि नज़रें ही तिरछी हैं हम बेहोश हो गए

अगर सीता बने जो तू तो मैं भी राम बन जाऊं
अगर राधा बने जो तू तो मैं भी श्याम बन जाऊं
बनाना जो भी चाहो तुम बनू सब कुछ मेरी प्रियतम
अगर सोडा बने जो तू तो मैं भी जाम बन जाऊं

जेती देखबे तेती संगी मया के मतवार बइठे हे।
कोरी कोरी निपट गे खैरखा तैयार बइठे हे।
बरबाद होथे निपोरवा मन टुरी के चक्कर मा।
अउ कहिथे सरकार के सेती बेरोजगार बइठे हे॥

येती ओती आँखी मटकाना अब इम्तिहान लगथे।
बिना रंग के कोनो नइहे रंग मा बुड़े जहान लगथे।
कइसे पहचाने बबा नारीमन के अदाए रंगबसंती ला
ब्युटी पार्लर के जमाना हे बुढ़िया घलो जवान लगथे॥

दाई हर दाई होथे , कभू  बाप तो  कभू भाई होथे।
त्याग अउ तपस्या कस जिनगी बड़ करलाई होथे।
चोट लगथे बेटा ला अउ घाव होथे दाई के देंह मा।
सबके पीड़ा ला अनुभव करके  रोवैया  दाई होथे॥

अत्याचार झन करव फूलत फलत फोंक मा।
बेटी ला झन सरमेटव गंदा फरफंद जोक मा।
बेटी मान मर्यादा लाज अउ सृष्टि के आधार हे
अइसन दुलौरिन ला झन मारव कोख मा॥

देवालयों में बजते शंख की ध्वनि है बेटी।
देवताओं के हवन यज्ञ की अगनि है बेटी।
खुशनसीब है जिनके आंगन में है बेटी।
जग की तमाम खुशियों की जननि है बेटी॥

बहर : २१२-१२२२-२१२-१२२२*
लय :तुम तो ठहर परदेसी
खाके' चटनी' बासी मय सेवा' ला बजाहूँ ओ।
तोर नाव दुनिया मा सब डहर फै'लाहूँ ओ।

माटी' अउ म्हतारी के जग म बड़ महत्तम हे।
तोर जस अबड़ दानी अउ कहां ले पाहूँ ओ।

जिंदगी मा मनखे के बस तहीं अधारी हस।
गुन ल तोर' गाहूँ मय महिमा' ला बताहूँ ओ।

माटी के कथा गाथे राम कृष्ण जस ज्ञानी।
उखरे' बोली' भाखा ला बस महूँ सुनाहूँ ओ।

संझा' अउ बिहनिया ओ वीर तोर जस गावे।
माटी' के मोर करजा ला अइसने चुकाहूँ ओ॥

पतरेंगी  अस  छोकरी , आये  रोज बजार।
अंतस  ओला  देख के , गाये  गीत  हजार।।

डर के मारे नइ कहँव , अपन हृदय के बात।
तभो समझ वो जाय जी , मोर सबे जज्बात।।

तूमा  भाँटा  ले  सजे , पसरा  लागे   नीक।
घेरी   बेरी  प्यार ले ,  बात करय सब ठीक।।

आवत जावत कहि परौं,का राखे हस हीर।
वोहर कहि  दे  हाँव ले , आई  लभ यू वीर।।

बड़ लजकुरहा आँव मैं , लागय मोला लाज।
बाजय गदकड़ गद तभो , एक सार के साज।।

मिर्चा  भाटा  संग  मा , लेवौं  रोज  पताल।
बइठौ पसरा मेर ता , अपन  बतावय  हाल।।

भरगे  पीरा  मूड़  मा , करम  फाटगे मोर।
सब्जी वाली छोकरी , कहिस हरौ मैं तोर।।

विरेन्द्र कुमार साहू

आरती अवध बिहारी की

आरती गीत:-

(आरती   अवध   बिहारी   की)

आरती    श्री    बनवारी    की
सुमति सिया जनक दुलारी की

गले  में    मोती     की    माला
छटा  छवि   महा  सिंधु   वाला
रवी   सी  चमक
मणी सी  झलक
प्रलय की पलक
चरित  शुभ  प्रीतम  प्यारी   की
आरती   श्री      बनवारी     की

कमल  नीला  सम  तन   काला
उजाला    कुंद    इन्दु      वाला
हँसत सिय मंद
भजत शिव चंद
कटत भव  फंद
अमित  छवि  सिंधु  खरारी  की
आरती     श्री     बनवारी    की

अवध  प्रिय  रवि कुल के भूषण
वधत   अरि   रावण   खर दूषण
बसे  हनु   हृदय
करें  लय  प्रलय
भजों शुभ समय
द्रवित  दुख  भव   भयहारी  की
आरती     श्री      बनवारी    की

रचना : विरेन्द्र कुमार साहू "प्रवीर"

गजल के बहर

गजल का प्रमुख बहर:-

1.
(बहरे कामिल मुसम्मन सालिम)
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212

2.
(बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून)
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22 

3.
(बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूर)
मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122

4.
(बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ)
मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22

5.
(बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़)
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212

6.
(बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम)
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122

7.
(बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम)
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122

8.
(बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर)
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12

9.
(बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम)
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212

10.
(बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर)
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2

11.
(बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम)
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
लय :- तुम अगर साथ देने का वादा करो

12.
(बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला)
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 122

13.
(बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम)
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212

14.
(बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून)
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212

15.
(बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम)
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212

16.
(बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम)
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212

17.
(बहरे रमल मुरब्बा सालिम)
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122

18.
(बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन)
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22

19.
(बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़)
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212




20.
(बहरे रमल मुसद्दस सालिम)
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122

21.
(बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़)
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 2122 212

22.
(बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़)
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22

23.
(बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन])
फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात फ़ाइलातुन
1121 2122 1121 2122

24.
(बहरे रमल मुसम्मन सालिम)
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122

25.
(बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़)
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122

26.
(बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम)
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222

27.
(बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़)
मफ़ऊल मुफ़ाईल मुफ़ाईल फ़ऊलुन
221 1221 1221 122

28.
(बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम)
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222

29.
(बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम)
फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे

30.
(बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़)
फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212

31.
(बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़)
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212

32.
(बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम)
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222

संग्रह : विरेन्द्र कुमार साहू
मो. +919993690899

मात्रिक छंद विधान

१. दोहा :- दो पद प्रत्येक पद २४ मात्रा।
    चरण : चार चरण -१-३ में १३ मात्रा
                            २-४ में ११ मात्रा।
   तुकांत :- पदांत में।
विषम चरण :- ४ ४ २१२/ ३ ३ २ २१२
सम चरण :- ३ ३ २ २१/ ४ ४ २१

२. रोला :- चार पद प्रत्येक पद २४ मात्रा।
    चरण : आठ चरण -१-३-५-७ में ११ मात्रा
                            २-४-६-८ में १३ मात्रा।
   तुकांत :- क्रमशः दो दो पद  में।
विषम चरण :- ३ ३ २ २१/ ४ ४ २१
सम चरण :- २ १ २ ४ ४

३. कुण्डलिया :- छह पद
प्रथम दो पद दोहा
शेष चार पद में दो रोला
तीसरा पंक्ति के प्रारंभिक चरण द्वितीय पंक्ति का अंतिम चरण।
पाँचवा पंक्ति के प्रारंभिक चरण  में कवि के नाम सहित कथन।

४. चौपाई :- दो पद चार चरण
प्रत्येक चरण में १६ मात्रा
क्रमशः दो चरण में तुकांत।
विधान :- २२ २ २ २ २  २ २

५. रूपमाला छंद! शंभु शिखर
चार चरण /चार पंक्ति
प्रति चरण /प्रति पंक्ति 24 मात्रा
प्रति चरण १४ पर यति १० पर विराम
२१२-२-२-२१२,२१-२-२-२१।×४

६. सोरठा :- दो पद प्रत्येक पद २४ मात्रा।
    चरण : चार  चरण  -१-३ में ११ मात्रा
     (दोहा के विपरीत) २-४ में १३ मात्रा।
   तुकांत :- १-३ चरण के अंत में
विषम चरण :- ३ ३ २ २१/ ४ ४ २१
सम चरण :- ४ ४ २१२/ ३ ३ २ २१२

७. उल्लाला छंद(चंद्रमणि छंद)
1. विधान :- दो पद , चार चरण ,
प्रति चरण १३ मात्रा ,
दोहा के विषम चरण का नियम लागू।
पदांत में तुकांत।

2. पद - दो पद
    चरण - चार
    यति - 13-13
    तुकांत - 1 और 2 चरण / तीसरा और चौथा चरण
     मात्रा - प्रत्येक चरण में 13 मात्रा।।

3. पद - दो पद
    चरण - चार
    यति - 15-13
    तुकांत - सम सम चरणों मे मतलब पदांत मे।
     मात्रा - विषम चरण में 15 एवं सम चरण में 13 मात्रा।।

८. सार छंद!!
    पद - दो
    चरण - चार
    विषम चरण - 16 मात्रा (चौपाई का नियम)
    सम चरण 12 मात्रा चरणांत २२ से।
    यति -16 -12
    तुकांत - सम सम चरण मतलब पदांत मे

९. कुकुभ छंद
चार पद ,चार चरण प्रति चरण ३०,
१६ , १४ पर यति
क्रमशः दो दो चरण समतुकांत

१०. सरसी छंद
दो पद प्रत्येक पद २७ मात्रा।
    चरण : चार चरण -१-३ में १६ मात्रा
(चौपाई के नियम लागू)
                            २-४ में ११ मात्रा।
(दोहा के सम चरण के नियम लागू)
   तुकांत :- पदांत में।

११. छन्न पकैया छंद
२ पद ४ चरण
विषम चरण १६ मात्रा
समचरण १२ मात्रा अंत दो गुरु (वास्तविक/आभासी)
(१)छन्न पकैया छन्न पकैया , (२) ४ ४ २ २।
        (३)   ३ ५ ३ ५ , (४)    ४ ४ २ २॥

१२. छप्पय छंद
प्रथम चार पद रोला तथा अंतिम दो पद उल्लाला।
कुल छह पद! विधान रोला व उल्लाला अनुसार।

१३. आल्हा छंद

१६-१५।
१६-१५॥

पहला व तीसरा चरण चौपाई विधान में तथा दूसरा व चौथा चरण में ४+४+४+३(२१)
पदांत समतुकांत

१४. लावणी छंद

16 , 14।
16 , 14।।

1-3 चरण चौपाई के समान।
2-4 चरण 14 मात्रा नियम चौपाई के समान।
चार चरण। दो पद। पदांत में समतुकांत।

परिक्षेत्र पांडुका पदाधिकारियों का संपर्क सूत्र

साहू समाज परिक्षेत्र पाण्डुका जिला गरियाबंद।


परिक्षेत्र पदाधिकारियों की जानकारी :-


संरक्षक :- श्री अरूण साहू जी पाण्डुका

              +919755175054

              श्री शैलेन्द्र साहू जी पाण्डुका

              +918319953838

              श्री डोमार साहू जी कुरूद

              +918435926365


अध्यक्ष :- श्री महेन्द्र साहू जी पचपेड़ी

             +919755175131


उपाध्यक्ष :- श्री पुनीत राम साहू जी पाण्डुका

               +919630414861


सचिव :-   श्री विरेन्द्र कुमार साहू जी बोड़राबांधा

              +919993690899

सहसचिव :- श्री ओमप्रकाश साहू जी मुरमुरा

               +919165960967


कोषाध्यक्ष :- श्री ओमप्रकाश साहू जी पोड़

               +917748972213

               +916268657356

अंकेक्षक :- श्री टोमन लाल साहू जी कुरूद

              +919926114327


संगठन मंत्री :-श्री निरंजन साहू जी गाड़ाघाट

                +919165605489

                  श्री दुलीचंद साहू जी पाण्डुका

                +919977639377


प्रचार मंत्री :- श्री चुम्मन साहू जी कुरूद

                 श्री सालिक साहू जी पाण्डुका

                 +919589175043


समाजसेवक :-श्री लेखराम साहू जी कुरूद

                +918120513986

                  श्री बुधराम साहू जी पोड़

                +918959669695 rishi


ग्रामीण अध्यक्ष/ सचिव का संपर्क नंबर :-

१. अतरमरा :- श्री माखन लाल साहू अध्यक्ष

श्री रामस्वरूप साहू सचिव

२. कुम्हरमरा :- श्री गिरवर साहू अध्यक्ष

+919340808492

श्री सेवक राम साहू वरिष्ठ

३. फुलझर :-श्री गोपाल साहू अध्यक्ष

+919926646395

श्री डीहूराम साहू सचिव

४. मुरमुरा :- श्री लखन लाल साहू अध्यक्ष

श्री ओमप्रकाश साहू सचिव 

+919165960967

५. पण्डरीतराई :-श्री बंशीलाल साहू अध्यक्ष

+919981410860

श्री मस्तु राम साहू वरिष्ठ

६. कुरूद:-श्री घनश्याम साहू अध्यक्ष

श्री लालूराम साहू सचिव

+919685609915

७. गाड़ाघाट :- भुपेन्द्र साहू अध्यक्ष

+918435036635

श्री रेवाराम साहू  सचिव

+918120803402

८. खट्टी :-श्री कोमल राम अध्यक्ष

+918349486024 (ved sahu)

श्री निरंजन साहू जी

+917869177179

९. रजनकटा :- श्रवण साहू अध्यक्ष

+919981315538

श्री बसंत साहू सचिव

+918963948780

१०. तौरेंगा :- श्री श्यामलाल साहू अध्यक्ष

श्री सुखीराम साहू वरिष्ठ

8959678079

११. सरकड़ा :- श्री बिहारी लाल साहू अध्यक्ष

श्री चुड़ामनी साहू सचिव

+919575990901

१२. पाण्डुका :-श्री सालिक राम साहू अध्यक्ष

श्री झारेंद्र साहू सचिव

+919755439384

१३. कुटेना :- श्री लल्लूराम साहू अध्यक्ष

श्री गुलाब साहू सचिव

१४. कुकदा :-श्री मेवाचंद साहू अध्यक्ष

9752743776

श्री टुकेश्वर साहू कोषाध्यक्ष

१५. पोड़ :- श्री भाऊसिंग साहू अध्यक्ष

श्री चंद्रहास साहू सचिव

+919575788768

१६. बारूका :- श्री मोहन लाल साहू अध्यक्ष

१७. नागझर श्री मनी राम साहू अध्यक्ष 8717983440

श्री समारू राम साहू सचिव

१८. घटकर्रा पचपेड़ी श्री लालजी साहू अध्यक्ष 8463854113

श्री शिवशंकर साहू सचिव

+917974927512

श्री रामशरण साहू वरिष्ठ

श्री धीरपाल साहू वरिष्ठ

१९. बोड़राबांधा :-श्री लक्ष्मण साहू अध्यक्ष               +919926273212

श्री द्वारिका साहू वरिष्ठ

२० आसरा :-श्री राजाराम साहू अध्यक्ष

श्री टंकेश्वर साहू सचिव

+918889013413

२१ दिवना:- श्री नारायण साहू अध्यक्ष

श्री अंजनी कुमार साहू सचिव

२२ राचरडेरा :- श्री चुम्मन साहू सदस्य