हो रहा है धर्म की हानि, व्यथित धरती महारानी।
खो रहा चैनों अमन, तड़प रही मछली बिन पानी॥
आतताइयों को भगाकर, धर्मध्वजा फहराना पड़ेगा।
मानवता का पाठ पढाने ,राम तुझे आना पड़ेगा ॥
भारत वर्ष की शस्य श्यामला ,भूमि रक्त रंजीत है।
संस्कारों की उत्तम शिक्षा,शिक्षालयों में वर्जित है॥
अखंड भारत की रक्षा का संकल्प दोहराना पड़ेगा।
मानवता की रक्षा के लिये ,राम तुझे आना पड़ेगा॥
त्रेता में था एक परंतु अब हर घर में रावण है।
रक्त बरसाने निरपराधों के मानो बर्षा सावन है॥
अत्याचार की अग्नि से बचाने बन घन बरसना पड़ेगा।
धर्म की स्थापना हेतु ,राम तुझे आना पड़ेगा ॥
वीरेन्द्र साहू "मानसपुत्र" राजीम छ. ग.
(कवि )
शनिवार, 3 सितंबर 2016
राम तुझे आना पड़ेगा
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