डोकरी दाई के लोरी भुलागे,
अब तो पेरा के डोरी सिरागे ।
सुकवा उवत उठइया नइये,
बइला के दउरी फंदइया भुलागे।
गाडा बइला के खेदइया नइये,
बियारा के सुतइया नदागे।
डोकरा बबा के मुठीया छेना,
चोंगी माखुर पसिया भुलागे।
डोकरी दाई के परइ गोरसी,
जांता जंतली ढेंकी नदागे।
दूध भात अउ फरा चिला,
बासी पसिया के खवइया नदागे।
परछी छितका कुरिया माटी के,
गांव म छानी परवा नदागे।
नइये गोबर के लिपइया,
पानी के कुआं बउली नदागे।
मया परेम के सुघ्घर तिहार
भाई चारा अउ सुनता भुलागे।
दारू महुआ के फेर म,
संस्कृति अउ परंपरा नदागे।
🌿जय छत्तीसगढ़🌿
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