वीरेन्द्र साहू
शनिवार, 3 सितंबर 2016
सफलता
वीरू गुलाब कांटे बीच जो चुभे सो पावे । जो न चुभन सहि सके रहि रहि के पछतावे ।। वीरेन्द्र साहू "कवि"
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