जय श्री राम!
मित्रों रामचरितमानस में राम को ब्रह्म, भगवान और परमात्मा कहा गया है।
"राम ब्रह्म व्यापक भगवाना "
"राम सो परमात्मा भवानी"
"सोई दशरथ सुत भगत हित कोसलपति
भगवान"
इसका सुंदर विश्लेषण यह है कि जो वेदांती ब्रह्मचारी है वे राम को "ब्रह्म" व जो भक्त है वे "भगवान" व जो योगी हैं वे " परमात्मा" के रूप में मानते है।
"जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मुरत देखी तिन तैसी॥"
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