रविवार, 16 अक्टूबर 2016

आरती राजिम मइया की

आरती माता राजिम मैया की।

जय राजिम मइया कि माई जय राजिम मइया।
हम है वंश तुम्हारे पार करो नैया ॥
कि जय राजिम मइया॥
कठिन तपस्या की माई, तब लोचन पायो ।
पथरा के बदला सोना दे बर जगतपाल आयो॥
कि जय राजिम मइया॥
पायके हीरा जवाहर माई का मन नही ललचायो।
तुलसी के भार में तीन लोक के मानिक तौलायो॥
कि जय राजिम मइया॥
राजीमलोचन नाम अमर हे जगत किरति गायो।
जन कल्याण के खातिर मंदिर बनवायो ॥
कि जय राजिम मइया॥
देख के भक्ति तोर महाप्रभु देईस तोला वरदान।
मोर नाम के आगे ले ही लोगन तोरे नाम ॥
कि जय राजिम मइया॥
राजीमलोचन संकटमोचन जो मन से गावे ।
संकट मिटे दरिद्र भागे सुख सम्पत्ति पावे ॥
कि जय राजिम मइया॥
राजिम मइया की आरती जो कोई जन गावे ।
पाय हरिपद प्रीति जगत में बहुरि नही आवे ॥
कि जय राजिम मइया॥
जय राजिम मइया कि माई जय राजिम मइया ।
तीन लोक के स्वामी ल तंय घानी म गिंजरइया ॥
कि जय राजिम मइया॥
-------------राजिम माता की जय-----------------

संकलन-॥विरेन्द्र साहू ॥

2 टिप्‍पणियां:

  1. तुलसी के भार में तीन लोक के मालिक तौला

    यू ट्यूब सुन्दरानी स्वर फागु तारक देखिये
    पुरानी रचना छत्तीसगढ़ी को सुधार कर हिन्दी में बनाया गया है

    व्हाट अप नम्बर भेजिये पुरानी रचना भेजूंगा

    जवाब देंहटाएं